पहली रात की सौगात

रीमा की शादी आज ही हुई थी। जब वो सुहागरात के कमरे में दाखिल हुई, तो उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। सामने अर्जुन, उसका दूल्हा, हल्की मुस्कान लिए बैठा था। रीमा ने नज़रें झुका लीं। कमरे में हल्की रौशनी थी, और गुलाब की खुशबू चारों ओर फैली हुई थी। अर्जुन ने धीरे से कहा, “डरो मत, ये रात सिर्फ हमारी है।”

रीमा ने धीरे से सिर हिलाया। अर्जुन ने पास आकर उसका घूंघट हटाया, और उसकी बड़ी-बड़ी आंखों में देखा। “क्या तुम खुश हो?” उसने पूछा। रीमा ने हल्के से मुस्कुरा दिया, लेकिन उसके हाथ अभी भी ठंडे थे। अर्जुन ने प्यार से उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मैं चाहता हूं कि हम इस पल को महसूस करें, इसे जीएं। कोई जल्दी नहीं, कोई मजबूरी नहीं।”

धीरे-धीरे उनकी झिझक मिटने लगी। अर्जुन ने रीमा को अपनी बाहों में समेट लिया, और उनके बीच पहली रात का प्यार परवान चढ़ने लगा। वो रात सिर्फ एक मिलन नहीं थी, बल्कि दो दिलों का जुड़ना था।